Makar sakranti 2025: त्योहार कब से कब तक मनाया जाएगा जानिए!
मकर संक्रांति 2025: पुण्य काल, महापुण्य काल और इसका महत्व
मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस साल, मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है। यह त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और खगोलीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुण्य काल और महापुण्य काल का मुहूर्त
मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 07:19 से दोपहर 12:30 तक
- महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 07:19 से सुबह 09:00 तक
इन मुहूर्तों के दौरान गंगा स्नान, तिल दान, अन्न दान और सूर्य देव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति को उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह समय देवताओं का दिन (उत्तरायण) शुरू होने का प्रतीक है, जो शुभ और मंगलकारी कार्यों के लिए आदर्श माना जाता है। महाभारत के भीष्म पितामह ने उत्तरायण का इंतजार करके ही अपने शरीर का त्याग किया था।
सांस्कृतिक परंपराएं
मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाजों और नामों से यह त्योहार मनाया जाता है।
- पंजाब: लोहड़ी
- गुजरात: उत्तरायण
- तमिलनाडु: पोंगल
- असम: माघ बिहू
इन परंपराओं में पतंगबाजी, पारंपरिक पकवान (खिचड़ी, तिल-गुड़ के लड्डू) और मेलों का आयोजन किया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मकर संक्रांति का खगोलीय महत्व भी है। इस दिन सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। यह ऋतु परिवर्तन का भी संकेत देता है।
मकर संक्रांति का संदेश
मकर संक्रांति हमें यह संदेश देती है कि जीवन में ज्ञान और प्रकाश का महत्व सर्वोपरि है। तिल-गुड़ के माध्यम से "मिठास बांटने" और सभी के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है।
इस मकर संक्रांति पर आप भी पुण्यकाल में स्नान और दान कर इस शुभ पर्व का आनंद लें और इसे और भी मंगलमय बनाएं।
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