Best papaya variety: ये हैं पपीता की सबसे बेहतरीन किस्में, पैदावार इतनी कि किसान हो जाएंगे मालामाल

papaya variety: पपीते की इन 5 किस्मों से मिलता है अच्छा उत्पादन, जानिए खेती के बारे में सबकुछ

पपीता की खेती कब की जाती है
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Papaya Variety: पपीते की इन टॉप 5 किस्मों से मिलता है अच्छा उत्पादन, जानिए खेती के बारे में सबकुछ



विश्व में सर्वाधिक पपीते उगाए जाते हैं और विश्व में सर्वाधिक पपीते भारत से ही उत्पादन किए जाते हैं विश्व में भारत का प्रथम स्थान मनाया गया है तो पपीता उत्पादन में, मैं आज किसानों के लिए लेकर आया हूं पांच ऐसी वैरायटी जो किसान अपने खेत में एक बार लगा ले तो वह वैरायटी किसानों को मालामाल बना देगी।

पपीते की आज ऐसी वैरायटी बताऊंगा जो किसान खेत में एक बार लगा ले तो साल में दो बार फल उत्पादन देगी और किसान इन वैरायटी का उपयोग करते हैं तो अधिक लाभ प्रदान करेंगे एक पांच वैरायटी।

पपीता की पांच वैरायटी कौन-कौन सी है अधिक उत्पादन देने वाली जानिए।


1. पूसा जायंट :- किस वैरायटी के पौधे सर्वाधिक ऊंचे होते हैं तो यह हवा के लिए प्रति प्रतिरोधी वैरायटी मानी जाती है इस इस आकार के फल का वजन लगभग 2 से 3 किलो तक होता है, इस वैरायटी को हवा के प्रति प्रतिरोधी माना गया है इस वैरायटी के पौधे सर्वाधिक शुष्क क्षेत्र में उगाए जाते हैं जहां पर पानी की सर्वाधिक कमी होती है वहां पर यह वैरायटी गई जाती है यह वैरायटी कम पानी जाने वाली वैरायटी है जो कम पानी में भी अधिक उत्पादन देती है।

2. पूसा नन्हा :- इस वैरायटी के पौधे सर्वाधिक छोटे वे बौने होते हैं, इस वैरायटी के पौधे में फल ऊपर से नीचे तक पूरे पौधे में फल आते हैं इस वैरायटी के फल वजन में एक से दो किलो तक होते हैं, यह वैरायटी सर्वाधिक पाला सहन करने वाली वैरायटी है। इस वैरायटी के फल स्वाद में सर्वाधिक मीठे होते हैं इस वैरायटी की खेती उत्तरी भारत के अनेकों राज्यों में की जाती है।

3. ताइवान :- इस वैरायटी की खेती राजस्थान में सर्वाधिक की जाती है और इस वैरायटी के फल का गुदा रक्त जैसा लाल होता है, इस वैरायटी के फल का वजन 2 से 3 किलो तक होता है, ताइवान वैरायटी राजस्थान में सर्वाधिक प्रचलित वैरायटी मानी जाती है क्योंकि इस वैरायटी के फल सर्वाधिक मीठे वे स्वाद में बहुत अच्छे होते हैं।

ताइवान वैरायटी राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में सर्वाधिक प्रचलित मानी जाती है और यह वैरायटी कम पानी में भी अधिक उत्पादन देने वाली वैरायटी है। इसलिए इस वैरायटी का राजस्थान में सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।

4.सूर्या :- पपीते की यह किस्म से 52 – 55 किलो ग्राम फल का उत्पादन मिलता है. इसकी खासियत यह है कि इस किस्म की भंडारण क्षमता बहुत अधिक होती है.किसान इस किस्म की खेती अधिक करते हैं, सूर्य वैरायटी की खेती भारत के दक्षिणी राज्यों में की जाती है इस वैरायटी के फल आकार में लगभग 2 से 4 किलो तक होते हैं।

5.पूसा डेलिशियस :- पपीते की यह वैरायटी वैज्ञानिकों द्वारा 1986 में विकसित की गई थी, इस किस्म के फल माध्यम और छोटे आकार के होते हैं। इसकी खासियत यह होती हैं कि इस वैरायटी से 41 – 42 किलो ग्राम फल प्राप्त हो सकते हैं. जब इस वैरायटी के पौधे जमीन से 80 से.मी बड़े हो जाते है, तब फल लगने की क्रिया शुरू हो जाती है। इस वैरायटी की खेती भारत के पश्चिमी राज्यों में की जाती है इस पपीता की किस्म से सर्वाधिक उत्पादन भारत में होता है। यह वैरायटी सर्वाधिक पाला सहन करने वाली वैरायटी है।

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