कट्टो में आलू की खेती कैसे करते हैं?, पानी की बचत करने के लिए कट्टो में आलू की खेती किस प्रकार की जाती है? पूरी जानकारी जानिए हिंदी में
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कट्टो में आलू कैसे उगाए ?, कट्टो में आलू की खेती कब किस समय करते हैं? पूरी जानकारी जानिए हिंदी में।
भारत में चावल, गेहूं, गन्ने के बाद आलू की ही खेती सबसे अधिक की जाती है। आलू में 80 से 82 प्रतिशत तक पानी और 14 प्रतिशत स्टार्च पाया जाता है। ये एक ऐसी सब्जी है जिसे कितने भी दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता हैं आलू के कई व्यंजन बनाए जा सकते हैं। आलू को इसलिए इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है। इसलिए आलू के पराठे से लेकर चिप्स और कई तरह की सब्ज़ियां बनाई जाती हैं जो हर किसी को पसंद आती है।
हेलो दोस्तों राजस्थान में कट्टो में खेती किस प्रकार की जाती है मैं आज आपको बताऊंगा कट्टो में खेती करना बहुत ही आसान है वह काम पानी देकर अधिक उपज पैदावार कर सकते हो।
दोस्तों आलू की फसल अधिक पानी चाहने वाली फसल है क्योंकि राजस्थान में सर्वाधिक पानी की कमी है तो कट्टो में आलू की खेती की जाती है इससे पानी की बचत हुए कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त की जाती है इससे किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है आप भी कट्टो में आलू की खेती किस प्रकार कर सकते हो मैं आज आपको पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताऊंगा।
कट्टो में आलू की खेती कैसे करें पूरी प्रक्रिया जानिए?
हेलो दोस्तों आपको सबसे पहले 10 या 15 खलीकट्टे लेने हैं फिर उसमें आधा कट्टा मिट्टी का और आधा कट्टा वर्मी कंपोस्ट खाद का भर देना है फिर आपको ध्यान रखना है कि कट्टे को ज्यादा ऊपर तक मिट्टी से ना भरे क्योंकि आपको इस प्रकार ध्यान रखना है कि कट्टे में पानी आसानी से रुक जाए इस प्रकार मिट्टी को भरना है।
कट्टो में मिट्टी भरने के बाद उसमें आलू के कंद मिट्टी में नीचे दबा कर वह देने हैं फिर मिट्टी को बढ़िया से दबाकर कट्टो में पानी भर देना है पानी इतना ही भरना है जो कट्टे की मिट्टी पानी को आसानी से शोक ले।
आपको इस प्रकार कट्टो में आलू बोने है।
आलू कट्टो में पानी देने का उपयुक्त समय जानिए।
आलू को कट्टों मैं पानी देते समय हमें कुछ बातें ध्यान रखती है जैसे की हमें कट्टे में फुल पानी नहीं भरना है नहीं तो आलू के कंद साड़ी या गाल जाएंगे, हमें और हमें आलू के कट्टों में बस पानी इतना देना है कि कैट में प्रयुक्त नमी बनी रहे जिस मिट्टी सुखी नहीं दिखाई दे।
हमें आलू के कट्टों में चार या पांच दिन में बस एक बार पानी डालना है हमें इतना पानी डालना है जो आलू के कट्टे पानी को सोख ले ज्यादा पानी डालने से आलू में झुलसा रोग हो जाएगा
हमें आलू के कट्टों में 4 से 5 दिन में पानी देना है।
आलू कट्टों में मिट्टी कौन सी प्रयोग करें?
हमें आलू को कट्टों में बलुई दोमट मिट्टी का प्रयोग करना है यह मिट्टी कम पानी चाहने वाली मिट्टी होती है इस मिट्टी में कम पानी से भी अधिक नमी बनी रहती है, इस मिट्टी में एक बार पानी देने से ज्यादा दिन तक मिट्टी में नमी बनी रहती है मिट्टी में नवी बनी रहने के कारण आलू के कंद अधिक मोटे होते हैं इस प्रकार बलुई दोमट मिट्टी का प्रयोग किया जाता है।
आलू के कट्टों में खाद कौन सा प्रयोग करें जानिए?
हेलो दोस्तों आलू का कट्टो में आलू बोते समय हमें वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना है यह खाद सर्वाधिक नमी बनाए रखना है और मिट्टी में नमी बनी रहने के कारण आलू के कंद अधिक मोटे होते हैं।
वर्मी कंपोस्ट खाद हमें आलू बोते समय ही आधा कट्टा वर्मी कंपोस्ट खाद का भर देना है जिससे दोबारा वर्मी कंपोस्ट खाद डालने की समस्या नहीं रहती है एक बार खाद डालने से पूरी फसल पैदा की जा सकती है इस प्रकार खाद एक बारी डाला जाता है।
वर्मी कंपोस्ट खाद आलू के कट्टों में इसलिए डाला जाता है कि इस खाद में सभी पोषक तत्व उपस्थित होते हैं जिसे नाइट्रोजन कैल्शियम फास्फोरस इत्यादि पोषक तत्वों का वर्गी कंपोस्ट में सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं इस प्रकार सभी किसान वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं।
कट्टो में आलू बोने का उपयुक्त समय कौन सा है, वह किस महीने में बाय जाते हैं जानिए।
कट्टो में आलू खेती करने के लिए हमें आलू की बुआई अक्टूबर से नवंबर के महीने में बुआई की जाती हैं, हमें आलू बोते समय कुछ बातों का ध्यान रखना है कि आलू को ने तो ज्यादा ऊपर नहीं ज्यादा नीचे बेना है अन्यथा आलू कुछ प्रकार बेना है कि जो आलू का पौधा कम समय में उग जाए और आलू के कंद ऊपर निकालकर ने आए।
आलू की कटाई कब की जाती है जानिए।
हेलो दोस्तों आलू की खटाई जनवरी माह के लास्ट में फरवरी माह में की जाती है आलू की कटाई मुख्य रूप से फरवरी माह में सर्वाधिक की जाती है आलू की कटाई करते समय हमें कुछ दिन पहले 10 या 15 दिन पहले आलू के ऊपर से पत्तो को काट देना चाहिए, क्योंकि 10-15 दिन पहले आलू के पट्टे काटने से आलू के कंद मोटे-मोटे हो जाएंगे इस प्रकार आलू के पत्ते काटे जाते हैं कंद मोटे होने के लिए।
आलू के पौधे के लिए उपयुक्त तापमान कोन सा है? जानिए।
हेलो दोस्तों आलू के पौधे के लिए उपयुक्त तापमान 18- 22° C का माना जाता है, यह तापमान आलू के पौधे के लिए उपयुक्त बताया गया है कि आलू का पौधा सर्दियों में ही बोया जाता है वह आलू की खेती सर्दियों में की जाती है इस प्रकार अधिक आलू के पौधे के लिए उपयुक्त तापमान 14 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड बताया गया है।
आलू की उपयुक्त किस्में जानिए कौन-कौन सी है जो कम समय में अधिक पैदावार दे रही है तो उपयुक्त वैरायटी जानिए ।
1.कुफरी पुखराज किस्म:- यह किम भारत में सर्वाधिक उपयोगी मानी गई है इस किस्म को भारत के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में सर्वाधिक बोया जाता है यह किस्म कम समय में पैक कर तैयार हो जाती है, यह वैरायटी खासकर भारत के उत्तराखंड पश्चिम बंगाल हरियाणा पंजाब छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक बोई जाती है इस किस्म की एक सर्वाधिक विशेषता मानी जाती है कि यह है वैरायटी कम अवधि में पककर तैयार हो जाती है। यह आलू की किस्म सिर्फ 100 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
2.कुफरी चिप्सोना किस्म:- यह आलू की वैरायटी सर्वाधिक चिप्स बनाने में काम आती है यह वैरायटी चिप्स बनाने में सर्वाधिक प्रयोग की जाती है इस वैरायटी के आलू सर्वाधिक मोटे होते हैं तो इस आलू की वैरायटी से चिप्स आसानी से बन जाती है। तो यह आलू की वैरायटी सिर्फ चिप्स बनाने के परपस से बोई जाती है। यह इस किस्म के आलू की उपज प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल प्राप्त की जाती है।
3. कुफरी अलंकार किस्म :- इस किस्म के आलू सर्वाधिक उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में बोए जाते हैं, इस किस्म के आलू सिर्फ 70 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं। इसकी उपज 200 से 250 प्रति क्विंटल प्राप्त की जाती है।
4.कुफरी नीलकंठ किस्म:- इस किस्म के आलू में सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है यह सर्वाधिक ठंड में सर्दी सहनशील किस्म है जो 90 से 100 दिन में पककर फसल तैयार हो जाती है। इस आलू की उपज 300 से 350 प्रति हेक्टेयर क्विंटल उपज प्राप्त की जाती है।
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